Book Details

Valmiki Ramayan Code 77 Hindi Valmiki

Valmiki Ramayan Code 77 Hindi Valmiki


त्रेतायुगमें महर्षि वाल्मीकिके श्रीमुखसे साक्षात वेदोंका ही श्रीमद्रामायणरूपमें प्राकट्य हुआ, ऐसी आस्तिक जगतकी मान्यता है। अतः श्रीमद्रामायणको वेदतुल्य प्रतिष्ठा प्राप्त है। धराधामका आदिकाव्यका होनेसे इसमें भगवानके लोकपावन चरित्रकी सर्वप्रथम वाङ्मयी परिक्रमा है। इसके एक-एक श्लोकमें भगवानके दिव्य गुण, सत्य, सौहार्द्र, दया, क्षमा, मृदुता, धीरता, गम्भीरता, ज्ञान, पराक्रम, प्रज्ञा-रंजकता, गुरुभक्ति, मैत्री, करुणा, शरणागत-वत्सलता-जैसे अनन्त पुष्पोंकी दिव्य सुगन्ध है। मूलके साथ सरस हिन्दी अनुवादमें दो खण्डोंमें उपलब्ध, सचित्र।

Author: Gita Press Gorakhpur

Pages: 2580

Issue By: eBook 707

Published: 1 year ago

Likes: 2

    Ratings (0)


Related Books